Aparna Sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -05-Aug-2023

दैनिक प्रतियोगिता 

ओपन कविता 

एक श्मशान अपने अंदर 🔥


एक श्मशान ऐसा भी बनाया जाए 
जिसमें विकारों को जलाया जाये 

सुलगती वासना , मचलती कामना
दबी हुई भावना , चीख़ती प्रताड़ना 

ईर्ष्या की भट्टी , मोह की मिट्टी 
यादों की चिट्ठी , यार की कट्टी 

विरह की अगन , पिया की लगन
प्रेम दहन , पैसों का लोभन 

अरमान कभी मरते नहीं मेरे दोस्त 
एक पूरा होते ही दूसरा सिर उठाता है 
इसलिए 
क्यों ना शिव की तरह इस सावन में 
 खुद को तृप्त और परिष्कृत बनाया जाए 

यही होगी सच्ची साधना , शिव अराधना 
चलो इस बार श्मशान वाले को 
यही भेंट चढ़ाया जाए 🙏🔥🌿

अपर्णा गौरी शर्मा 💚

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3 Comments

KALPANA SINHA

11-Aug-2023 10:59 AM

Very nice

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HARSHADA GOSAVI

06-Aug-2023 06:44 AM

Very nice

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Gunjan Kamal

05-Aug-2023 11:05 PM

वाह बहुत खूब

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